टीका लेने के बावजूद संक्रमित हुए अधिकांश मामलों में डेल्टा म्यूटेंट जिम्मेदार,ICMR के ताजा अध्ययन में खुलासा

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सेंट्रल डेस्क। कोविड-19 रोधी टीकाकरण करवाने के बावजूद संक्रमण की चपेट में वाले अधिकांश मामलों में संक्रमण की वजह कोरोना वायरस का डेल्टा स्वरूप है। हालांकि ऐसे मामलों में से महज 9.8 फीसदी में ही अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी तथा मृत्यु दर भी 0.4 फीसदी रही। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक नए अध्ययन में यह पता चला है।

मौतों के मामले हो रहे कम:
टीकाकरण के बाद संक्रमण होने को ‘ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन’ कहा जाता है। भारत में ‘ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन’ यानी टीकाकरण के बाद हुए संक्रमण के मामलों की पड़ताल का यह सबसे बड़ा और पहला राष्ट्रव्यापी अध्ययन है। इसमें जो विश्लेषण हुआ है उसके मुताबिक ऐसे मामलों में चूंकि व्यक्ति का टीकाकरण हो चुका होता है इसलिए अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत कम पड़ रही है और संक्रमण से मौत के मामले भी कम आ रहे हैं।

टीकाकरण अभियान को बढ़ावा देना जरूरी:
अध्ययन में कहा गया कि कोविड-19 की और भयावह लहरों को आने से रोकने के लिए टीकाकरण अभियान को बढ़ाना और लोगों का जल्द से जल्द टीकाकरण करना सबसे महत्वपूर्ण रणनीति होगी। इससे स्वास्थ्य प्रणाली पर भार भी कम होगा। सार्स-सीओवी 2 के दो नए स्वरूप डेल्टा ‘एवाई.1’ और ‘एवाई.2’ की भी इस अध्ययन के नमूनों में पहचान की गई। आईसीएमआर ने कोविड रोधी टीकों कोविशील्ड और कोवैक्सीन की एक या दोनों खुराक ले चुके ऐसे 677 लोगों के नमूने एकत्रित किए जो कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे। ये नमूने 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लिए गए।

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