यूपी: सपा प्रमुख अखिलेश यादव का आरोप-पंचायत अध्यक्षों के नामांकन को रोक रही भाजपा, लोकतंत्र की हो रही हत्या

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लखनऊ। उत्तरप्रदेश में पंचायत चुनावों को लेकर भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच लगातार बयानों का दौर चल रहा है। समाजवादी पार्टी जहां प्रदेश की बीजेपी पर लगातार अलोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाने का आरोप लगा रही है वहीं बीजेपी की ओर से कहा जा रहा है कि जनता समाजवादी पार्टी को पसंद नहीं कर रही तो उनके द्वारा अनर्गल आरोप लगाए जा रहे हैं। जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में जहां बीजेपी को बड़ी सफलता हाथ लगी है, वहीं समाजवादी पार्टी को ज्यादा सीटें नहीं मिल पाई हैं।

रविवार को भी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यही बात दुहराई। अखिलेश यादव ने कहा “भाजपा ने जिस तरह से जिलों में पंचायत अध्यक्षों के नामांकन अलोकतांत्रिक तरीके से रोके हैं उससे इन चुनाव की निष्पक्षता एवं पवित्रता नष्ट हुई है। यह लोकतंत्र की हत्या की साजिश है। जनपद वाराणसी एवं गोरखपुर में भी जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में भाजपा बुरी तरह पराजित हुई थी ऐसे में उनके अध्यक्षों का निर्विरोध निर्वाचन एक चमत्कार से कम नहीं। धन बल-छल बल और सत्ता बल का ऐसा अनैतिक खेल सत्ता लोलुप भाजपा ने खेलकर साबित कर दिया है कि वह जनादेश का सम्मान करना नहीं चाहती है, उसका इरादा उसको कुचलने का रहता है।”

अखिलेश यादव यहीं नहीं रुके, बल्कि उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि भाजपा ने विगत साढ़े चार वर्षों में जनता को हर कदम पर धोखा दिया है। जनसामान्य के उपयोग की सभी वस्तुएं इस भाजपा राज में मंहगी हुई है। कानून व्यवस्था ध्वस्त हुई है। कोरोना संक्रमण में हजारों जाने गईं और इलाज, दवा के अभाव में लोग तड़पते रहे।

उन्होंने कहा “किसान अपनी मांगो को लेकर आंदोलनरत हैं। भाजपा सरकार किसानों की मांगों पर विचार करने के बजाय उन्हें अपमानित कर रही है। नौजवानों के पास नौकरी और रोजगार नहीं है। प्रदेश में विकास परियोजनाएं ठप्प हैं। भाजपा सबसे बदला लेने के काम में लगी है। चारों तरफ भ्रष्टाचार का बोलबाला है। भाजपा के अंधेर राज में कालाधन का चलन चरम पर है।
भाजपा नेतृत्व और उसकी सरकार की राजनीति सत्ता के इर्द-गिर्द ही घूमती है।”

अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी को विकास और लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्ध बताते हुए कहा कि जनहित और नैतिक मूल्यों के प्रति बीजेपी की दिलचस्पी नहीं दिखती है जबकि समाजवादी पार्टी लोकतंत्र और विकास के लिए प्रतिबद्ध है। भाजपा का चरित्र संविधान की रक्षा की शपथ और लोकतंत्री आचरण के विरुद्ध है।