सेंट्रल डेस्क। लोजपा का घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर तो पहले से ही लड़ाई चल रही है, अब जिलाध्यक्षों को लेकर भी पार्टी के दोनों खेमों के बीच तनातनी शुरू हो रही है, चूंकि पशुपति पारस गुट ने बिहार में पार्टी के नए जिलाध्यक्ष बनाने की बात कह दी है।
वहीं चिराग पासवान के बनाए जिलाध्यक्ष जिलों में पहले से तैनात हैं। यानि पार्टी के दोनों गुटों द्वारा अलग-अलग राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद अब जिलों में भी दो-दो अध्यक्ष दिख सकते हैं।
बता दें कि चिराग गुट ने पार्टी में टूट से पहले कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा संभाल रहे राजू तिवारी को ही अब पूर्ण रूप से पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है। जबकि, पारस गुट अभी भी सांसद प्रिन्स राज को ही अपना प्रदेश अध्यक्ष मान रही है।
इस बीच पशुपति कुमार पारस गुट द्वारा अब प्रदेश में नई कार्य समिति बनाने की बात कही जा रही है। राज्य के अधिकांश जिलों में नए जिलाध्यक्ष बनाने की बात भी कही गई है। कहा जा रहा है कि कार्यसमिति के नामों का चयन अंतिम प्रक्रिया में है।
लोजपा के पारस गुट के प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल का कहना है कि कई जिलाध्यक्ष पूर्ण रूप से एक्टिव नहीं हैं। उन्हें अनावश्यक रूप से चिराग पासवान द्वारा थोप दिया गया था। कई ऐसे जिलाध्यक्ष बनाए गए थे, जिन्हें पार्टी के कार्यकर्ता भी नहीं जानते हैं। जिन लोगों का संगठन पर कोई प्रभाव नहीं है, जिन्हें लोजपा के कार्यकर्ता नहीं जानते हैं, वैसे कई जिलाध्यक्षों को जल्द ही बदला जाएगा।
वहीं चिराग गुट के प्रवक्ता का कहना है कि पशुपति कुमार पारस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना ही अवैध है। पहले तो उन्हें यह साबित करना होगा कि उनका राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना वैध है या अवैध। इस पर अभी चुनाव आयोग की मुहर नहीं लगी है। इस कारण उन्हें अधिकार नहीं है कि वो किसी भी जिलाध्यक्ष को अपनी मर्जी से बदल दें। जिलों में जिलाध्यक्ष पहले से ही हैं। लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ही हैं। पशुपति कुमार पारस को सिर्फ 9 लोगों का समर्थन मिला है। जबकि, अधिकांश लोग चिराग के साथ हैं।