छपरा। यूं तो चुनाव के वक्त वोट मांगने के लिए जनप्रतिनिधि घर-घर घूमकर लोगों से अपने पक्ष में वोट देने की अपील करते हैं। साथ ही विकास की गंगा बहाने के वादे करते हैं, लेकिन चुनाव बाद अगर जनप्रतिनिधि क्षेत्र की सुध न लें तो लोगों का गुस्सा होना स्वाभाविक है।
जिला के मशरक प्रखंड के चांद कुदरिया पंचायत के हरपुरजान गांव का वार्ड-4 आज भी विकास कार्यों से मोहताज है। यहां के ग्रामीण सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित है। लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है।
ग्रामीणों का कहना है कि उनके द्वारा अपने गांव की समस्याओं के निराकरण को लेकर संबंधित विभाग के अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों से कई बार गुहार लगाई जा चुकी है। बावजूद उनकी समस्याएं जस की तस बनी है। इससे ग्रामीणों को अपनी समस्याओं के निराकरण को लेकर विरोध प्रदर्शन और आंदोलन पर विवश होना पड़ रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के बाद से आज तक इस गांव में सड़क पक्का नहीं बना है। इससे ग्रामीणों को कच्चे एवं उबड़- खाबड़ रास्तों से आवागमन करना पड़ता है।
बारिश के दिनों में तो कच्ची सड़क कीचड़ में तब्दील हो जाती है। इससे बीमारी एवं कोई आकस्मिक जरूरत पडऩे पर भी गांव से बाहर नहीं निकल पाते हैं। इससे इन गांवों के ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। परेशान ग्रामीणों ने बुधवार को गांव के मार्ग पर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।
ग्रामीणों ने बताया कि मुख्य सड़क से एक हजार से ज्यादा की आबादी वाले गांव मिश्री टोला में 300 मीटर लंबी सड़क को बनाने के लिए उनके द्वारा पिछले कई वर्षो से अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई जा रही है, लेकिन आज तक सड़क नहीं बन सकी है। यह गांव सारण जिले के सबसे अंतिम बोर्डर पर अवस्थित है। बारिश के दिनों मेें ग्रामीणों की समस्या और भी बड़ जाती है। सड़क पर कीचड़ फैलने से वाहन चलाना तो दूर पैदल निकलना मुश्किल हो जाता है।
ग्रामीण ओम प्रकाश मिश्र,संजय मिश्र, इफ्तखार हुसैन,मौतीक हुसैन, संजीव कुमार तिवारी,किमी देवी,शारदा देवी,सालवा बीबी,मरियम बीबी, क्लस्टर आलम,ईद महम्मद,फूल महम्मद आदि ने बताया कि 300 मीटर की दूरी का कच्चा एवं गड्ढे भरे मार्ग होने की वजह से खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क निर्माण की मांग अधिकारियों के साथ विधायक, सांसद, मुखिया से कई बार चुके है। लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया।सड़क की स्थिति जस की तस बनी है। ग्रामीण जनप्रतिनिधियों से खासे नाराज दिखाई दिए। उनका कहना है कि सभी सिर्फ वोट लेने आते हैं चुनाव के समय सभी सुध लेने आते हैं लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।