शिकंजा : मोस्ट वांटेड आतंकी हाफिज सईद, यासीन मलिक और सैयद सलाहुद्दीन पर NIA कोर्ट ने UAPA के तहत केस दर्ज करने का दिया आदेश

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सेंट्रल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) अदालत ने लश्कर-ए-तैयबा (एलइटी) के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन, यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मसर्रत आलम और अन्य कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है। बता दें कि हाफिज को 2008 में हुए मुंबई हमले का मास्टरमाइंड माना जाता है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा पेश तथ्यों व साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों के एक-दूसरे के साथ मिलकर जम्मू एवं कश्मीर में अलगाव व आतंक फैलाने का प्रथमदृष्टया मकसद साबित हुआ है। इतना ही नहीं, जांच एजेंसी ने दस्तावेजी व अन्य साक्ष्यों के माध्यम से पाकिस्तानी आतंकी संगठन के नेतृत्व में आतंकवादी संगठनों को आतंक फैलाने के लिए धन मुहैया कराने को भी प्रथमदृष्टया प्रमाणित किया है।

अदालत ने कहा कि आरोपपत्र पर बहस के दौरान, किसी भी आरोपी ने यह तर्क नहीं दिया कि व्यक्तिगत रूप से उनकी कोई अलगाववादी विचारधारा या एजेंडा नहीं है या उन्होंने अलगाव के लिए काम नहीं किया है या तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य को भारत सरकार से अलग करने की पैरवी नहीं की।

अदालत ने कहा कि गवाहों के बयानों को देखने से लगता है कि विभाजन के बाद इन आतंकी संगठनों का एक ही उद्देश्य रहा है कि जम्मू व कश्मीर राज्य को भारत सरकार से अलग किया जाए। अदालत ने यह भी कहा कि कई गवाहों ने आरोपी शब्बीर शाह, यासीन मलिक, जहूर अहमद शाह वटाली, नईम खान और बिट्टा कराटे को ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) और जेआरएल के आपस में संबंधों का खुलासा किया है। एक अन्य गवाह के बयानों से पता चलता है कि रशीद से लेकर जहूर अहमद शाह वटाली तक पाकिस्तानी आतंकी संगठनों से घनिष्ठ रूप से संपर्क में रहे हैं। अदालत ने कहा यह राय प्रथमदृष्टया है।

अदालत ने आरोपियों पर आरोप तय करते हुए कहा कि उनकी तमाम टिप्पणियां आरोपपत्र पर सुनवाई के बाद प्रथमदृष्टया हैं। इन्हें अंतिम नहीं माना जाना चाहिए। अब जबकि इन आरोपियों पर मुकदमा चलेगा तो सबूतों पर विस्तृत चर्चा एवं अभियोजन व बचाव पक्ष को विस्तार से सुने जाने के बाद आया फैसला ही अंतिम व मान्य होगा।

एनआइए ने कहा कि जांच के दौरान यह भी पता चला कि एपीएचसी और अन्य अलगाववादी आम जनता, विशेषकर युवाओं को हड़ताल करने और विशेष रूप से सुरक्षा बलों पर पथराव करने के लिए उकसाते हैं। यह भारत सरकार के प्रति जम्मू-कश्मीर के लोगों में असंतोष पैदा करने के लिए किया गया था। एनआइए के अनुसार ये अलगाववादी जम्मू-कश्मीर में चल रही आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने और अशांति फैलाने के लिए सभी संभावित स्रोतों से धन जुटा रहे थे।



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