पटना के विद्युत भवन की कैनवास बन चुकी दीवारें बनीं पटनावासियों का नया सेल्फी डेस्टिनेशन!

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वरिष्ठ पत्रकार विमलेन्दु सिंह की टिप्पणी

New Selfie Destination : ज्यादा दिन नहीं हुए जब पटना की दीवारें राजनीतिक दल (Political parties) और नीम हकीम (Neem Hakim) के इश्तेहारों से पटे नजर आते थे। फिर एक बदलाव आया। तमाम दीवारों को पेंटिंग से पाट दिया गया। ये मधुबनी पेंटिंग (Madhubani Painting) तो नहीं हैं, अलबत्ता मधुबनी पेंटिंग जैसी ही हैं। देखते ही देखते बेजान दीवारों में जान-सी आ गई। आज पटना की तमाम मुख्य सड़कों के दोनों तरफ की दीवारें खूबसूरत पेंटिंग से सजी धजी दिखाई देती हैं।

पटना के बेली रोड (जवाहरलाल नेहरू मार्ग) पर इनकम टैक्स गोलम्बर (Income Tax Golumber) से सटे है विद्युत भवन (Vidyut Bhawan)। यह बिहार राज्य ऊर्जा विभाग (Bihar State Energy Department) का मुख्यालय है। कुछ दिन पहले तक यह शहर की दूसरी आम सरकारी इमारतों की ही तरह कुछ ख़ास नहीं था। लेकिन अब इसकी 70 फीट ऊँची दीवाल बरबस ही अपनी ओर आपका ध्यान खिंचती है। इसे बेहद मनभावक म्यूरल्स से सुसज्जित किया गया है।

अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त चित्रकारों (International Painters) ने पटना के विद्युत भवन की दीवारों को बिहार में बिजली के ‘अंधेरे से उजाले की तरफ बढ़े कदम’ और ‘हम हैं प्रकाश पुंज’ को चित्रित कर जीवंत कर दिया है। साथ ही यह म्यूरल्स प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ने का भी सन्देश देता है। आपको पता होगा कि सरकार ने हाल ही में ‘जल, जीवन और हरियाली’ का नारा दिया है और इसके साथ विकास को गति देने का संकल्प लिया है।

पटना के इस सरकारी भवन को नया कलेवर देने की प्रेरणा मिली है लोदी इस्टेट, दिल्ली की दीवारों पर उकेरी गई म्यूरल्स की सीरीज से। बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी (BSPHCL) के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर प्रत्यय अमृत के अनुसार, लोदी इस्टेट से गुजरते हुए अक्सर मन में यह बात आती थी कि काश! एनर्जी स्पेशिफिक थीम पर ऐसा ही कुछ बिहार में भी हो पाता। बहरहाल तीन माह में यह तय हो गया कि क्या कुछ किया जाना चाहिए। और विद्युत भवन की दीवारों को म्यूरल्स से सजाने और इसके जरिए पब्लिक को कुछ मैसेज देने की योजना धरातल पर उतर पाई।

जब आप पटना की लाइफ लाइन कही जाने वाली बेली रोड से गुजरेंगे तो इनकम टैक्स गोलम्बर के करीब विद्युत् भवन की साइड वॉल पर आपकी निगाहें टिक जाएँगी। 70 फीट ऊँचे और 53 फीट चौड़े इस दीवार पर जो म्यूरल्स तैयार किया गया है उसमें व्यक्त सन्देश आपको प्रभावित करता है।

म्यूरल्स में एक बच्चा है और एक बच्ची। उनकी हथेली पर एक गौरैया बैठी है। गौरैया बिहार की राजकीय पक्षी है और फिलहाल इसके अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यह संरक्षित जीव की श्रेणी में आने वाली चिड़िया है। इस म्यूरल्स का टाइटल है – We are light! यह टाइटल सन्देश देता है कि कैसे इस जहां की सारी चीजें एक दूसरे संग गुंथी हुई हैं। कैसे एक दूसरे से गहराई से जुड़ी हुई हैं। मानव, पशु-पक्षी, कीड़े-मकोड़े, पेड़-पौधे सभी।

इस म्यूरल्स में दो पशुओं को भी शामिल किया गया है। दोनों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। विलुप्त होने का खतरा छाया हुआ है। ये पशु हैं रॉयल बंगाल टाइगर और एशियाई हाथी। म्यूरल्स में इन दो प्राणियों को दो नवयुवक के बीच चित्रित दर्शाया गया है। शायद यह बताने के लिए हमारा भविष्य और अस्तित्व अब तुम्हारे हाथों में है। तुम ही मेरे रक्षक हो। तुम पर ही जीवन की आस है।

इस खूबसूरत और अर्थपूर्ण म्यूरल्स में बरगद के पेड़ को भी चित्रित किया गया है। बरगद विशाल होता है। दूसरों को बिना भेदभाव आश्रय देता है इसलिए सौहार्द्र का प्रतीक है। दीवारों पर इन दृश्यों को जीवंत किया है Emanuel Alaniz और Federica Maria ने। Emanuel Alaniz अर्जेंटनियाई स्ट्रीट आर्टिस्ट हैं और जर्मनी में रहते हैं। Federica Maria भी अर्जेंटनियाई हैं और St+art India Foundation से जुड़े केरलवासी कलाकार Abhijith Acharya को असिस्ट करते हैं। इस म्यूरल्स में जो दो बच्चे नजर आ रहे हैं वे कलाकार की कोई काल्पनिक उपज नहीं हैं बल्कि पटना के स्कूली विद्यार्थी हैं।

दूसरी पेंटिंग का शीर्षक “green thunderbolt” है। यह बिजली विभाग के Logo और इसके बुनियादी उद्देश्यों पर आधारित है। ऊर्जा के प्रतीक का इस्तेमाल करते हुए इसे चटक हरे रंग में चित्रित किया गया है। इसका मकसद बिजली की पहचान, उपादेयता और सामूहिक अवदान को प्रकट करना प्रतीत होता है। इसका चित्रण Johnson Singh ने किया है। Johnson Singh मणिपुर में रहते हैं और कला सृजन को समर्पित हैं।

यहां चित्रित तीसरी और चौथी पेंटिंग ‘स्टोरी ऑफ़ कन्ट्रास्ट’ यानि ‘अँधेरे से उजाले की ओर’ के सफर की सशक्त अभिव्यक्ति है। प्रेक्षकों को इसमें एक राजनीतिक सन्देश की अनुभूति मिल सकती है कि कैसे विगत डेढ़ दशक के दौरान बिहार में बिजली की दशा में व्यापक बदलाव देखने को मिला। कैसे बिजली आपूर्ति का सम्पूर्ण परिदृश्य बदल-सा गया और शहर से लेकर गाँव तक की गलियां जगमगा उठी।

तीसरी पेंटिंग में धोती-कुर्ताधारी एक बुजुर्ग को चित्रित किया गया है। वे रोशनी के पुराने और अब अप्रासंगिक हो चुके साधन लालटेन को बुझाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं।

इस तस्वीर के ठीक उलट चौथी पेंटिंग है। इसमें चौथे भित्ति चित्र में एक महिला को दर्शाया गया है जो चटख पीली साड़ी में हैं। उनके चेहरे पर मोहक मुस्कान तैर रही है और वह बल्ब का स्वीच ऑन करने की कोशिश करती नजर आ रही हैं।

इस तीसरी चौथी पेंटिंग की परिकल्पना Johnson Singh की है जबकि इसे दीवारों पर जीवंत किया है Munir Bukhari ने। Munir Bukhari गुजरात के राजकोट में रहते हैं और हाल ही में यूपी के ग्रेटर नोयडा में महात्मा गाँधी की 150 फीट ऊँची पेंटिंग बनाने को लेकर चर्चा में रहे हैं।

Munir Bukhari ही पांचवीं पेंटिंग के भी सृजनकार हैं। इसका विषय ‘भविष्य की ऊर्जा’ है। Munir कहते हैं, ” मैं कई वर्षों से विषय केंद्रित भित्ति चित्र पर काम करता आ रहा हूँ। कुछ साल पहले मैंने मुम्बई स्थित MTNL बिल्डिंग की दीवाल पर दादा साहब फाल्के का पेंटिंग बनाया था। कला को फलता-फूलता देखना काफी सुखद लगता है।”

Munir को पेंटिंग में मदद कर रहे को-आर्टिस्ट Abhijith Acharya भी अपनी बात कहते हैं, ” यह मेरा पहला बड़ा असाइनमेंट है। और पंद्रह वर्षों की लंबी कला यात्रा तय करने के बाद हासिल हो पाया है।”

BSPHCL के रेजिडेंट इंजीनियर उमंग आनन्द बताते हैं, “विषय निर्धारित करने में थोड़ा वक्त लगा। बिहार में हम पहली बार ऐसी कुछ कलाकृति बना पाए हैं।” रितेश शर्मा यहीं प्रोजेक्ट मैनेजर हैं। वह कहते हैं, ” जब पटना में सक्षम कलाकार उपलब्ध हो गए तो फिर म्यूरल्स के माध्यम से सन्देश प्रसारित कर पाना मुमकिन हो पाया।”

लोगों की क्या प्रतिक्रिया रही? शर्मा कहते हैं, “अद्भुत! पब्लिक रेस्पॉन्स तो हैरान कर देने वाला रहा। लोग सुखद भाव से इन दीवारों को निहारते हैं। हमारे दफ्तर के इमारत की दीवारें अब पटना का नया सेल्फी प्वाइंट बन चुका है। लोग सिर्फ इसे निहारने भर के लिए यहां आते हैं।”

इस कार्य को पूरा कर पाने में बैंकों की मदद ने संजीवनी का काम किया। तीन बैंकों ने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत संसाधन उपलब्ध कराए तो काम बेहद आसान हो गया। इसके बगैर थोड़ी मुश्किलें आ सकती थीं।

बिहार में विद्युत आपूर्ति और मांग के बीच बेहतर समन्वय स्थापित हुआ है। हाल के दिनों में बिहार की बिजली की जरूरत 2200 मेगावाट से बढ़कर 5600 मेगावाट तक जा पहुंची है। बावजूद इसके सुदूरवर्ती गाँवों में भी पूरे दिन में 18 से 22 घन्टे की बिजली आपूर्ति हो पा रही है। इसलिए यह म्यूरल्स एक पोलिटिकल सन्देश भी देता प्रतीत होता है।