Mujuffurpur Eye Hospital Kand: मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन (Motiyabind Operation) के बाद आंख गंवाने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। बुधवार को मेडिकल कॉलेज (SKMCH) में गंभीर रूप से संक्रमित नौ और पीड़ितों की आंख निकालनी पड़ी। इससे आंख गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 15 हो गई है। बुधवार को नौ नए मरीज मेडिकल कॉलेज में भर्ती किए गए हैं। जांच के बाद इनकी आंख निकालने पर फैसला होगा।
ऑपरेशन कर रहे डॉक्टरों के अनुसार संख्या बढ़ सकती है। दूसरी ओर, 22 नवंबर को ऑपरेशन कराने वाले सभी लोगों में संक्रमण (Infection) की आशंका के बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें उनके हाल पर छोड़ रखा है। लगभग पचास पीड़ितों के बारे में न तो विभाग के पास पर्याप्त जानकारी है और न ही उनकी कोई खोज-खबर ली जा रही है।
पीड़ितों का ब्यौरा और दस्तावेज तलब
घटना सामने आने के तीन दिन बाद बुधवार को सीएस जागे और आई अस्पताल को पत्र भेजकर पीड़ितों का ब्योरा व अस्पताल से जुड़े दस्तावेज मांगे। वह भी तब जब मुख्यालय ने उनसे पूरी जानकारी तलब की। इस बीच, डीएम ने पीड़ितों को मुख्यमंत्री सहायत कोष से मुआवजा देने की बात कही है।
इससे पहले, मंगलवार को दो पीड़ितों की आंख निकाली गई थी, जबकि ऑपरेशन के दूसरे दिन 22 नवंबर को आई अस्पताल ने मामला दबाने के लिए आनन-फानन में चार मरीजों की आंख निकाली थी।
बुधवार को मुजफ्फरपुर के साथ ही पटना में यह मामला गरमाया रहा। स्वास्थ्य विभाग के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह सहित कई अन्य आला अधिकारियों के फोन आने के बाद सीएस डॉ. विनय कुमार शर्मा टीम के साथ अस्पताल पहुंचे।
उन्होंने अस्पताल के सहायक प्रशासक दीपक कुमार से लंबी पूछताछ की। सीएस ने अस्पताल में तैनात डॉक्टर से लेकर पारा स्टाफ तक की पूरी जानकारी मांगी है। उनकी शैक्षणिक योग्यता से लेकर वेतन या मानदेय तक के कागजात दो दिनों के अंदर उपलब्ध कराने को कहा। बाद में पूरे मामले की जांच कर रहे एसीएमओ की टीम भी पहुंची।
डॉक्टरों की टीम के साथ घटना वाले अस्पताल पहुंचे अधिकारी
बुधवार की सुबह लगभग नौ बजे ही मेडिकल में गहमा-गहमी बढ़ गई थी। डॉक्टरों की टीम के साथ ही कई प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए थे। 11 लेागों का ऑपरेशन होना था। पहले तो कई ने आंख निकलवाने से मना कर दिया। बाद में किसी तरह तैयार हुए। मगर दो मरीज बिना बताए अस्पताल से चले गए।
आई अस्पताल में 22 नवंबर को ऑपरेशन करवाने वालों की आंख खराब होने का सिलसिला अभी थमा नहीं है और इसके बाद पांच दिन तक चले ऑपरेशन में भी गड़बड़ी सामने आ रही है। 23 से 27 नवंबर तक ऑपरेशन कराने वाले कुछ मरीजों की आंख में दिक्कत सामने आई है। ये मरीज सदर अस्पताल और निजी अस्पतालों तक पहुंच रहे हैं। हालांकि, निजी अस्पताल इनका इलाज करने से कतरा रहे हैं।
मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में बुधवार ओपीडी भी बंद हो गई। बड़ी संख्या में आंख दिखाने के लिए आए मरीजों का लौटना पड़ा। कई वैसे लोग भी पहुंचे थे जिन्हें पहले ही ऑपरेशन की तारीख दी गई थी। अस्पताल के प्रशासनिक भवन में गहमा-गहमी बनी रही मगर ओटी से लेकर वार्ड तक में सन्नाटा पसरा रहा।
डीएम प्रणव कुमार ने कहा, ‘पीड़ितों को मुख्यमंत्री राहत कोष से मुआवजा दिया जाएगा। पीड़ितों के परिजनों की मांग पर प्रशासन इसकी तैयारी कर रहा है। इसके लिए पीड़ितों को आवेदन करना होगा। फिलहाल जांच रिपेार्ट का इंतजार किया जा रहा है।’