छपरा,23सितम्बर। जिले में कुपोषण को दूर करने के लिए सितंबर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। इस अभियान के तहत कुपोषित बच्चों की पहचान तथा देखभाल की जा रही है। इसी कड़ी में अति गंभीर कुपोषित बच्चों के लिए आईसीडीएस की ओर से विशेष पहल की गयी है। अब गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के लिए विशेष पोषण सत्र का आयोजन किया जायेगा। इस संबंध में आईसीडीएस के निदेशक ने पत्र जारी कर डीपीओ को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है।
जारी पत्र में कहा गया है कि गंभीर कुपोषित बच्चे बीमारी के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। यदि उचित समय पर पोषण युक्त आहार व सप्लीमेंट एवं चिकित्सा न मिले तो बच्चे की वृद्धि अवरुद्ध हो जाती है। पोषण अभियान एवं आईसीडीएस के अंतर्गत गंभीर कुपोषित बच्चो के लिए पूरक आहार सहित कई सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। साथ ही स्वास्थय विभाग के द्वारा अति गंभीर कुपोषित बच्चे को पोषण के साथ उचित चिकित्सा पोषण पुनर्वास केंद्र के माध्यम दी जाती है।
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माता-पिता को पोषण पर दी जायेगी जानकारी:
पोषण माह के अंतर्गत चिह्नित गंभीर कुपोषित बच्चे को विशेष पोषण परामर्श सत्र के माध्यम से उनके माता-पिता एवं परिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य एवं पोषण से संबंधित परामर्श के माध्यम से कुपोषित बच्चे के पोषण युक्त भोजन के प्रति जागरूक एवं उचित व्यवहार से संबंधित संदेशों से अवगत कराया जाना है। साथ ही सत्र में उच्च ऊर्जा पोषण युक्त भोजन व्यंजन बनाए जाने की विधि एवं सामग्री का प्रदर्शन कर बच्चे को खिलाने एवं पोषण अभियान तथा आईसीडीएस के संबंधित सेवाओं से भी अवगत कराना है। सत्र के दौरान वृद्धि निगरानी के महत्व, आहार विविधता, स्थानीय स्तर पर उपलब्ध ऊर्जायुक्त भोजन, साफ-सफाई के बारे में चर्चा की जानी है।गंभीर कुपोषित बच्चे को दी जानी वाली खाद्य सामग्री के द्वारा तैयार विभिन्न व्यंजनों की प्रदर्शनी की जानी है । साथ ही परामर्श सत्र के आयोजन की जानी है।
उम्र के अनुसार बच्चों को दें आहार:
आईसीडीएस के डीपीओ उपेन्द्र ठाकुर ने बताया कि अति गंभीर कुपोषित बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार दिए जाने वाले आहार की मात्रा के अतिरिक्त आहार देने संबंधी जानकारी देना चाहिए।
बच्चों के आहार में स्थानीय स्तर पर उपलब्ध भोज्य पदार्थों जैसे मक्का, मडुआ, चना,सतू, सहजन इत्यादि का समावेश करना है। खाना पकाने के लिए भिगोये हुए, अंकुरित सूखे घने और पीसे अनाज / दाले बच्चों को दी जा सकती हैं, क्योंकि ये आसानी से पच जाते है। पशु उत्पाद / मासाहारी खादय पदार्थ (मास, कलेजी, मछली, सुर्गा एवं अंडे आदि अच्छी तरह से पकाया हुआ) जहाँ सामाजिक रूप से स्वीकार्य है, बच्चे को जितनी बार संभव हो, दिया जाना चाहिए। बच्चे के आहार में प्रतिदिन सात में से कम से कम चार भोज्य समूहों का समावेश होना चाहिए। आहार में ऊर्जा की मात्रा बढ़ाने हेतु ऊपर से तेल- घी डाले ।
इन बातों का रखें ध्यान:
• लड़का और लड़की को समान प्रेम के साथ सामान प्रकार का और समान मात्रा का खाना खिलाये।
• खाना पकाने और परोसने के पहले तथा खिलाने के पहले और बाद में, हाथों को साबुन से जरूर धोएं।
• खाना पकाने की जगह साफ सुथरी हो, बर्तन साफ हो और खाने को ढक कर के रखे।
• व्यक्तिगत स्वच्छता जैसे नाखून काटना, साफ सफाई रखने का ध्यान रखें।
• पोषण की दृष्टि से हानिकारण भोज्य पदार्थों जैसे चिप्स, पफ, शर्करायुक्त पेय पदार्थ और अन्य जंक फूड बच्चों को ना दें।
• बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान रखते हुए बहार जाते समय उचित दूरी का ध्यान रखे और मास्क का प्रयोग करें।