छपरा। एक तरफ सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर करने के लिए रोज नए कार्य किये जाने के दावे किए जा रहे हैं दूसरी तरफ कई स्वास्थ्य केंद्रों पर लोगों को जरूरी सुविधाएं मयस्सर नहीं हो रहीं। सारण जिला के मशरक प्रखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था सुचारू रूप से बहाल नहीं हो पा रही है। प्रखंड के गंडामन उप स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण तब हुआ था, जिस वक्त मिड डे मील कांड हुआ था। वही मिड डे मील कांड, जिसमें 23 बच्चे काल कलवित हो गए थे।
मामला मशरक प्रखंड के गंडामण उप स्वास्थ्य उपकेंद्र का ही है। जहां पर वर्षों पूर्व हेल्थ एंड वैलनेस केयर सेंटर खोला गया था। दावा था कि पास के ग्रामीणों सहित दूरदराज के इलाकों में लोगों को भी यहां स्वास्थ्य सेवा मिल सकेगी। इसके लिए ही यह स्वास्थ्य उपकेंद्र खोला गया था।
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लेकिन इस स्वास्थ्य उपकेंद्र में कभी-कभी ही स्वास्थ्य कर्मी या डॉक्टर पहुंचते हैं। जिसकी वजह से यहां पर अक्सर ताला लगा रहता है। कोरोना काल में जब बीमार मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल की जरूरत पड़ती है। तब इस इलाके के लोगों को इस स्वास्थ्य उपकेंद्र में मायूसी ही मिलती है और उन्हें इलाज के लिए मशरक या जिला मुख्यालय छपरा जाना पड़ता है।
स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक यहां पर जब से इस केन्द्र की स्थापना हुई, तब से ही यही हाल है तथा चिकित्सक और स्टाफ नहीं आ रहे हैं। ना ही इस स्वास्थ्य उपकेंद्र का कोई देखभाल किया जाता है। जिसकी वजह से यहां पर साफ देखा जा सकता है कि कैसे इस उपकेंद्र के आसपास में झाड़ियां उगी हुई हैं। यहां बरसात के मौसम में जहरीले सांप बिछु का भी खतरा बना रहता है।
ग्रामीणों ने बताया कि गंडामण में सरकारी विद्यालय में मध्यान्ह भोजन योजना में विषाक्त भोजन खाने से 23 बच्चों की मौत हो गई थी जिसके बाद सरकार ने गांव को गोद लिया और वर्ष 2013 मे स्वास्थ्य उपकेंद्र बनाया गया था लेकिन इसका लाभ इस इलाके के आम लोगों को नहीं मिल पा रहा है।
गांव वाले बताते हैं कि सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवा के लिए केन्द्र खोला गया पर यह महज टीकाकरण के दिन ही खुलता है। लाखों रूपये लगाकर भवन तो बना दिया गया है पर समुचित व्यवस्था नही होने से इसका लाभ लोगों को नही मिल रहा है।