बिहार में जाति आधारित जनगणना (Caste Census in Bihar) का रास्ता साफ हो गया है. पटना हाई कोर्ट ने मंगलवार को हुई सुनवाई में इस पर लगी रोक हटा दी है. पटना हाई कोर्ट जातीय जनगणना को लेकर मंगलवार को सुनवाई के दौरान बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने बिहार में सरकार द्वारा जाति सर्वेक्षण कराने को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. बिहार में जातीय सर्वेक्षण चलता रहेगा. सरकार इसे स्वैच्छिक सर्वेक्षण वाली जनगणना मान रहा है, जिसका लगभग 80 फीसदी कार्य पूरा हो गया है.
कोर्ट ने बिहार में सरकार द्वारा जाति सर्वेक्षण कराने को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. बिहार में जातीय सर्वेक्षण चलता रहेगा. नीतीश सरकार के जातिगत जनगणना कराने के फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में 6 याचिकाएं दाखिल की गई थीं. इन याचिकाओं में जातिगत जनगणना पर रोक लगाने की मांग की गई थी. जातीय गणना को लेकर पटना हाई कोर्ट में राज्य सरकार की तरफ से कहा गया था कि सरकारी योजनाओं का फायदा लेने के लिए सभी अपनी जाति बताने को आतुर रहते हैं. सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद हाई कोर्ट ने रोक हटा दी. अब जाति आधारित जनगणना का बचा हुआ काम पूरा किया जाएगा.
सरकार ने नगर निकायों एवं पंचायत चुनावों में पिछड़ी जातियों को कोई आरक्षण नहीं देने का हवाला देते हुए कहा कि ओबीसी को 20 प्रतिशत, एससी को 16 फीसदी और एसटी को एक फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है. अभी भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक 50 फीसदी आरक्षण दिया जा सकता है. राज्य सरकार नगर निकाय और पंचायत चुनाव में 13 प्रतिशत और आरक्षण दे सकती है. सरकार ने कोर्ट में तर्क दिया था कि इसलिए भी जातीय गणना जरूरी है.