सपा ने डॉ. कफील को बनाया MLC चुनाव में प्रत्याशी, गोरखपुर में बच्चों की मौत मामले में हुए थे सस्पेंड

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गोरखपुर के चर्चित डॉक्टर कफील खान को विधान परिषद सदस्य के होने वाले चुनाव में समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी बनाया गया है. कफील को गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में हुई बच्चों की मौत के मामले में मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर निलंबित किया गया था. इसके अलावा सपा ने कौशाम्बी सीट से वासुदेव यादव को प्रत्याशी बनाया है. वासुदेव यादव बुधवार को नामांकन करेंगे. वासुदेव यादव सुबह 11 बजे सपा जिला कार्यालय जॉर्ज टाउन पहुंचेंगे. इसके बाद वासुदेव नामांकन के लिए कलेक्ट्रेट पहुंचेंगे.

समाजवादी पार्टी विधान परिषद की देवरिया- कुशीनगर स्थानीय निकाय सीट पर डॉ. कफील खान को चुनाव लड़ाएगी. डा. कफील गोरखपुर में चिकित्सक हैं. उन्होंने मंगलवार को लखनऊ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की और अपनी किताब ‘द गोरखपुर हास्पिटल ट्रेजडी भेंट की’.

यह किताब गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कालेज में हादसे पर आधारित है. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की कमी से कई बच्चों की मौत हो गई थी. इस मामले में सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था. अब सपा डॉ कफील पर दांव  लगाने जा रही है. सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने इसकी पुष्टि की है. वह संभवत: बुधवार को नामांकन करेंगे.

इसी बीच विधान परिषद प्राधिकारी क्षेत्र के चुनाव में सपा कई निवर्तमान एमएलसी पर फिर दांव लगाने जा रही है. पार्टी छोड़कर जाने वाले लोगों के स्थान पर नए  चेहरों पर मौका दिया जाएगा. सपा के कई निवर्तमान विधान परिषद सदस्यों ने सोशल मीडिया पर प्रचार भी करना आरंभ कर दिया है.

समाजवादी पार्टी ने लखनऊ उन्नाव सीट से सुनील यादव साजन, फैजाबाद अम्बेडकर नगर से हीरालाल यादव, मथुरा-एटा-कासगंज से उदयवीर सिंह फिर चुनाव लड़ेंगे. जौनपुर से डॉ. मनोज यादव, श्रावस्ती-बहराइच से अमर सिंह, आजमगढ़ से राकेश गुड्डू,  बस्ती-गोरखपुर से संतोष यादव सनी व बाराबंकी से राजेश यादव को भी दुबारा मौका मिलने जा रहा है. बलिया से रविशंकर पप्पू की जगह अरविंद गिरी को चुनाव लड़ाया जाएगा. रविशंकर पप्पू भाजपा में जा चुके हैं. रायबरेली से वीरेंद्र यादव को मौका मिल सकता है.

बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद अब विधान परिषद (UP MLC Election) के लिए सियासी घमासान होने जा रहा है. सूबे की 36 विधान परिषद (एमएलसी) सीटों के लिए मतदान 9 अप्रैल को होना है और नतीजे 12 अप्रैल को आएंगे.

उत्तर प्रदेश विधान परिषद में कुल 100 सदस्य हैं, जिनमें बहुमत के लिए 51 का आंकड़ा चाहिए. उत्तर प्रदेश के विधान परिषद में सपा को बहुमत है. उच्च सदन में सपा की 48 सीटें हैं, जबकि बीजेपी के पास 36 सदस्य हैं. हालांकि, विधानसभा चुनाव के दौरान सपा के 8 एमएलसी बीजेपी में चले गए थे. वहीं, बसपा के एक एमएलसी भी बीजेपी में आ गए हैं.  

विधान परिषद चुनाव के पहले चरण में 30 और दूसरे चरण में छह सीटों पर चुनाव है. पहले चरण का नामांकन 15 मार्च से शुरू होकर 19 मार्च तक चलेगा. 21 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच होगी जबकि 23 मार्च तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे. वहीं, दूसरे चरण में छह सीटों के लिए नामांकन 15 मार्च से शुरू होंगे और 22 मार्च नामांकन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि है. 23 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच होगी. 25 मार्च को नामांकन पत्र वापस लिए जाएंगे. दोनों ही चरणों के लिए नौ अप्रैल को मतदान होगा जबकि 12 अप्रैल को नतीजे आएंगे. 

बता दें कि विधान परिषद की 36 सीटों पर चुनाव के बाद यह पहला मौका होगा जब बीजेपी को विधानसभा के उच्च सदन में बहुमत मिल सकता है. सौ सीटों वाली विधान परिषद में स्थानीय निकाय क्षेत्रों की 36 सीटों पर 2016 के चुनाव में सपा की 31 सीटें जीती थीं जबकि दो सीटों पर बसपा को जीत मिली थी.

वहीं, रायबरेली से कांग्रेस के दिनेश प्रताप सिंह जीते थे तो बनारस से बृजेश कुमार सिंह और गाजीपुर से विशाल सिंह ‘चंचल’ निर्दलीय चुने गए थे. हालांकि, दिनेश प्रताप सिंह बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे.  



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