University News : जयप्रकाश विश्वविद्यालय के स्थापना के लगभग 29 वर्षों बाद पहली बार विश्वविद्यालय में बृहद रूप से लोकनायक जेपी व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। इस आयोजन में मुख्य वक्ता के रूप में राज्यसभा उपसभापति हरिवंश नारायण उपस्थित थे।
कार्यक्रम का उद्घटान ऑनलाइन रूप से राज्यपाल सह कुलाधिपति फागू चौहान ने किया। इस मौके पर मुख्यवक्ता हरिवंश ने लोकनायक जयप्रकाश के जीवन चरित्र का सचित्र वर्णन अपने शब्दों के माध्यम से किया। जेपी ट्रस्ट के अध्यक्ष सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त, पद्मश्री उषा किरण खान ने भी जेपी पर विस्तृत प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि देश मे लोकनायक जेपी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवन मे मात्र दो आंदोलनों के बदौलत व्यवस्था परिवर्तन की नींव डाली थीं। सन 1942 की अगस्त क्रांति एवं 1972 की सम्पूर्ण क्रांति भारतीय इतिहास की वह समय है जब व्यवस्था परिवर्तन हेतु सम्पूर्ण देश मे एक नई क्रांति की शुरुआत हुई।
जेपी हमेशा इंसानियत व मानवता के हिमायती रहें। उनकी एक पुकार पर युवाओं का हुजूम उमड़ पड़ता था। वे सत्ता से दूर रह कर व्यवस्था परिवर्तन चाहते थे। उन्होंने पहली बार नक्सलियों के गढ़ एमपी के मुसहरी में जा कर नक्सल नेताओं से बातचीत की थीं।
उन्होंने उनकी समस्याओं व परेशानियों को नजदीक से जान कर उन्हें समाज की मुख्यधारा में आने की बात की थीं। जेपी भारतीय राजनीति के नचिकेता के समान थे। वे नागालैंड पीस आंदोलन की शुरुआत की थीं।
उन्होंने कहा कि भारत के तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने व कांग्रेस के अध्यक्ष पद का बागड़ोर संभालने की पेशकश की थीं परंतु जेपी ने उसे नकार दिया था।
लोकनायक जेपी अपने सम्पूर्ण जीवन मे कभी चुनाव नही लड़े। उन्होंने सोसलिस्ट पार्टी का गठन अवश्य किया था। जहाँ उनके हस्ताक्षर से नेताओं को टिकट दिए जाते थे।
वहीं पद्मश्री उषा किरण खान ने लोकनायक की पत्नी और उनके कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली प्रभावती देवी के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। चरखा समिति की पूर्व अध्यक्ष उषा किरण खान ने कहा कि प्रभावती जी के बारे में और रिसर्च होने चाहिए तथा विश्वविद्यालय में उनके शोधपीठ की भी स्थापना होनी चाहिए।
व्याख्यानमाला का संचालन रजिस्ट्रार डॉ रविप्रकाश “बबलू” ने किया। अध्यक्षता वीसी डॉ फारुख अली ने की। व्याख्यानमाला में विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, छात्र आदि मौजूद थे।